उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से पलायन की समस्या के बीच रोजगार उपलब्ध कराना सरकार के लिए बड़ा काम है। राज्य सरकार नव निर्मित राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाओं का अधिकतम उपयोग करने का प्रयास कर रही है। उत्तराखंड जैसे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील पहाड़ी राज्य में पर्यटन के सुनियोजित, समन्वित और एकीकृत विकास के प्रति पर्यटन विभाग भी काफी सजग है। उत्तराखंड की पर्यटन नीति का सपना उत्तराखंड को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटक आकर्षण के रूप में स्थापित करना है। हम बात कर रहे हैं स्वरोजगार योजना “वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना” के बारे में, जो 1 जून 2002 को शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य के निवासियों को पर्यटन क्षेत्र में अधिक से अधिक स्वरोजगार प्रदान करना था।
क्या है वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना का उद्देश्य
सरकार की उत्तराखंड में पर्यटन को रोजगार और राजस्व सृजन के स्रोत के रूप में विकसित करने की योजना है, इससे पलायन की समस्या से भी निपटा जा सकेगा। इसे यहां के निवासियों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति से जोड़ना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है।
उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद से ही राज्य सरकार का लक्ष्य नव निर्मित राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए उत्तराखंड को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पर्यटक आकर्षण बनाना है। उत्तराखंड में पर्यटन रोजगार और राजस्व का मुख्य स्रोत है। इसे एक समुदाय के रूप में विकसित करते हुए यहां के मूल/स्थायी निवासियों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति से जोड़ना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है।
क्या है योजना के लिए पात्रता
आवेदक राज्य का मूल/स्थायी निवासी होना चाहिए।2. यदि योजना के कार्यान्वयन के लिए भूमि की आवश्यकता है, तो भूमि के मालिक या भूमि आवेदक के करीबी रिश्तेदार के नाम पर, प्राथमिकता सुरक्षा के पक्ष में भूमि का बंधक स्वीकार्य है, लेकिन यदि भूमि का मालिक है भूमि आवेदक के साथ सह-उधारकर्ता या ज़मानतदार है। यदि वह भागीदार बनता है तो अनुदान राशि केवल आवेदक को देय होगी, लेकिन लीज डीड की अवधि ऋण चुकौती अवधि से अधिक होने पर आवेदक को पट्टे की भूमि पर भी योजना का लाभ मिल सकता है।3. आवेदक किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान का डिफॉल्टर नहीं होना चाहिए।
विभिन मदो में अनुबन्ध व सब्सिडी
गैर-वाहन वस्तुएँ:- इस योजना के अंतर्गत 33 प्रतिशत अधिकतम रु. पर्वतीय क्षेत्रों में 33.00 लाख एवं 25 प्रतिशत अधिकतम रू. गैर वाहन मद में पर्यटन विभाग द्वारा मैदानी क्षेत्रों में 25.00 लाख रूपये का अनुदान स्वीकृत किया जाता है।
वाहन मद में: जिसमें साधारण बस, टैक्सी, मैक्सी आदि शामिल हैं, 25 प्रतिशत अधिकतम रूपये देने का प्रावधान किया गया है। पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में 10.00 लाख।
लेकिन पुश बैक-30 और 42 सीटर-2’2 बस/इलेक्ट्रिक बस और पुश बैक 26-28 सीटर और 42 सीटर 2’2) इलेक्ट्रिक बस/वातानुकूलित बस के लिए 50 प्रतिशत लेकिन अधिकतम 20.00 लाख रुपये का प्रावधान सरकार यह व्यवस्था केवल निर्धारित मापदण्ड पूर्ण करने वाली बसों/इलेक्ट्रिक बसों पर ही अनुमन्य होगी तथा किसी भी वित्तीय वर्ष में बसों/इलेक्ट्रिक बसों की अधिकतम संख्या 50 होगी।