अगर आपको अपने सपनों पर पूरा भरोसा है और कड़ी मेहनत करने का साहस है तो आप कठिन से कठिन लक्ष्य भी हासिल कर सकते हैं।बचपन से ही हम सभी को सिखाया जाता है कि समस्याओं को खत्म करने के लिए उन्हें टालना नहीं है बल्कि उनका डटकर सामना करना है और किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी है। इस सिद्धांत का पालन करने वाले लोग अक्सर उदाहरण बन जाते हैं।
शूरु से ही शीर्ष पर रहने की आदत ने आज दिलाया यह मुकाम
ऐसी ही कहानी है उत्तराखंड की महिला अधिकारी राधिका झा की। उत्तराखंड कैडर की आईएएस अधिकारी राधिका झा ने अपनी पढ़ाई एक शीर्ष कॉलेज से पूरी की, इसके बाद उन्होंने शीर्ष कंपनियों में भी काम किया, लेकिन आईएएस अधिकारी बनने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी।
राधिका को अपने सपनों और अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित लेडी श्री राम कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की, मनोविज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद औद्योगिक और संगठनात्मक मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद वह एक नामी कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी करने लगीं, लेकिन उन्हें अपने काम से संतुष्टि नहीं मिली. कुछ महीने नौकरी करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी करने लगीं।
राधिका ने कड़ी मेहनत की और ऑल इंडिया रैंक 15 के साथ परीक्षा पास करके नौकरी छोड़ने के अपने फैसले को सही साबित किया। एक आईएएस अधिकारी के रूप में उनका अब तक का कार्यकाल उत्कृष्ट रहा है। राधिका ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। पिछले साल उन्होंने यूनाइटेड किंगडम की प्रतिष्ठित शेवनिंग स्कॉलरशिप भी जीती थी। आईएएस अधिकारी राधिका झा राज्य के कई विभागों में सचिव के पद पर रह चुकी हैं. उन्हें वर्ष 2020 में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य स्तरीय ‘एक्सिलेंस इन गुड गवर्नेंस’ पुरस्कार मिला।