एक बार फिर उत्तराखंड के नैनीताल की एक खूबसूरत प्रतिभा स्पेन में मशहूर हो गई है। नैनीताल की दिवा साह ने अपना कारनामा कर दिखाया है। दिवा की फीचर फिल्म को स्पेन के सैन सेबेस्टियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में नए निर्देशक श्रेणी में कुटजाबैंक पुरस्कार मिला है। नैनीताल की रहने वाली दिवा ने ‘बहादुर दा ब्रेव’ नाम से एक फीचर फिल्म बनाई है। यह फिल्म भारत में कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन पर आधारित है। फिल्म में दिवा ने नेपाल के दो लोगों का जिक्र किया है जो कोरोना के दौरान भारत में फंसे हुए थे।
यह फीचर फिल्म प्रतिष्ठित फिल्म महोत्सव में भाग लेने के लिए भारत से भेजी गई थी। महोत्सव की अन्य प्रमुख फिल्में मीरा नैय्यर की ‘सलाम बॉम्बे’, सत्यजीत रे की ‘चारुलता’, मृणाल सेन की ‘इंटरिम’ और रीमा दास की ‘विलेज रॉकस्टार’ इस महोत्सव में प्रमुख नाम थीं। 1953 में सैन सेबेस्टियन फिल्म फेस्टिवल की स्थापना के बाद से, सिनेमा जगत के कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम यहां आयोजित किए गए हैं। सैन सेबेस्टियन फिल्म फेस्टिवल में किसी भी भारतीय फिल्म के लिए यह पहला पुरस्कार है।
दिवा साह ने नैनीताल का नाम रोशन किया, पुरस्कार पाने के बाद वह उन लोगों की बहुत आभारी हैं जिन्होंने उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा नैनीताल से ही पूरी की है। उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई ऑल सेंट्स कॉलेज, नैनीताल से, इंटरमीडिएट की पढ़ाई समर वैली स्कूल, देहरादून से, इंग्लिश ऑनर्स गार्गी कॉलेज, दिल्ली से और क्रिएटिव राइटिंग में डिग्री डरहम यूनिवर्सिटी, यूके से पूरी की।
दिवा साह की फीचर फिल्म ‘बहादुर दा ब्रेव’ को स्पेन के सैन सेबेस्टियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में न्यू डायरेक्टर कैटेगरी में कुटजबैंक अवॉर्ड मिला है। उन्हें यह सम्मान शनिवार रात को मिला। यह जानकारी सामने आने के बाद पूरे नैनीताल में खुशी का माहौल है। दिवा के पिता का नाम राजेश साह है, जो फिल्म निर्देशन के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। दिवा की मां शालिनी साह एक सामाजिक गृहिणी हैं।