मिलिए उत्तराखंड के पहाड़ की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर बीना से, गाड़ी चलकर दे रही पति का साथ

sajidjaar

हर जगह अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों के लिए महिलाओं की हमेशा सराहना की जाती है और उत्तराखंड के पहाड़ों में महिलाएं हर चुनौती पर विजय पाने की कला बखूबी जानती हैं। वे जानते हैं कि खेतों की जुताई कैसे करनी है, काम और समय के बीच समय का प्रबंधन कैसे करना है और यदि आवश्यक हो तो स्टीयरिंग व्हील को भी पकड़ना है। पहले ड्राइविंग का काम केवल पुरुषों को दिया जाता था क्योंकि उन्हें महिलाओं से बेहतर माना जाता था, लेकिन चमोली जिले की बीना देवी एक ऐसी मेहनती महिला हैं, जिन्होंने इस गलतफहमी को तोड़ने की कोशिश की है। उन्हें जिले की पहली महिला ड्राइवर होने का गौरव प्राप्त है। वान गांव की रहने वाली बीना टैक्सी ड्राइवर का काम कर अपनी आर्थिकी मजबूत कर रही हैं।

Beena Devi First Lady Driver Of Mountain

खेती और गाड़ी चलकर सुधार रही है अपनी जीवनी

छह साल पहले उसने कमर्शियल ड्राइवर के तौर पर टैक्सी चलाना शुरू किया था। बीना बताती हैं कि शुरुआत में दिक्कतें आईं, लेकिन अब सब कुछ ठीक चल रहा है। आज वह हर दिन औसतन 2,000 रुपये कमाती हैं। पिछले छह वर्षों में वह अपनी टैक्सी से पूरे उत्तराखंड का भ्रमण कर चुकी हैं। बीना टैक्सी ड्राइवर होने के साथ-साथ खेती का काम भी करती हैं।

बीना बताती हैं कि वर्ष 2010 में उनकी शादी वैन गांव निवासी सुरेंद्र सिंह से हुई थी। वह पर्यटक गाइड के रूप में काम करता है। लेकिन अपने माता-पिता की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बीना केवल दसवीं कक्षा तक ही पढ़ सकीं। 2013 में जब उनके गांव तक सड़क पहुंची तो बीना ने गाड़ी चलाना सीखा। उनके पति ने भी उनका साथ दिया और साल 2016 में बीना ने कर्ज लेकर और कार खरीदकर ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया।

Beena Devi First Lady Driver Of Mountain

बीना अपनी कहानी बताती हैं कि शुरुआती दौर में लोग महिला ड्राइवर को देखकर कार में बैठने से कतराते थे, लेकिन अब यह सामान्य बात हो गई है। आज बीना परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भूमिका निभा रही हैं और अपने फैसले से खुश भी हैं।

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