उत्तराखंड भारत का एक ऐसा राज्य है जो अपने आप में संपूर्ण है। यहां आप मैदानी इलाकों की गर्म और आर्द्र जलवायु से लेकर पहाड़ों की अत्यधिक ठंड तक का अनुभव कर सकते हैं। लेकिन मानसून के दौरान यह जगह आपको अपना असली रंग दिखाती है। वैसे तो नदी वाकई खतरनाक हो जाती है लेकिन अगर आप हमारे द्वारा सुझाई जा रही जगहों तक पहुंच सकें तो आपको विदेश का भी एहसास हो जाएगा। आज आपको उत्तराखंड के ऐसे 5 झरने के बारे में जानकारी मिलेगी जो आपको आश्चर्यचकित कर देंगे।
इसके सामने लोकेशन कुछ भी नहीं है. आज हम यहां आपको उत्तराखंड के कुछ प्रसिद्ध और बेहतरीन झरनों की लोकेशन बता रहे हैं जहां आप जा सकते हैं।यहां कुछ बेहद खूबसूरत झरने हैं जो साल भर बहते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो बरसात के मौसम में अपना असली रंग दिखाते हैं। अगर आप उत्तराखंड घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप अपने पार्टनर या परिवार के साथ घूमने जा सकते हैं। खासकर मानसून के दौरान यहां के झरनों की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है, तो आइए एक नजर डालते हैं इनकी लिस्ट पर।
बिर्थी झरना
सबसे पहले, हम आपको बिर्थी झरने के बारे में बताना चाहते हैं जो पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और मुनस्यारी के पास तेजम से लगभग 14 किमी दूर है। यह झरना समुद्र तल से 400 फीट ऊपर से गिरता है और यहां कालामुनि दर्रे से भी पहुंचा जा सकता है।बरसात के दिनों में इस झरने का बहाव इतना तेज होता है कि इस झरने की बूंदें सड़क पर दूर तक लोगों को भिगो देती हैं, इस मौसम में इतनी ऊंचाई से पानी गिरता देखना किसी अद्भुत दृश्य से कम नहीं है। पर्यटकों की सुविधा के लिए इस स्थान पर आपको ठहरने की जगह के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, यहां कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) का एक गेस्ट हाउस भी है, जहां से पर्यटक झरने के खूबसूरत दृश्यों के साथ आराम का आनंद ले सकते हैं।
वसुन्धरा जलप्रपात
उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है और यहां जिला चमोली वह स्थान है जहां आपको भूमि और नदियों से संबंधित कई लोक कथाएं मिल सकती हैं। इन्हीं में से एक है चमोली जिले के बद्रीनाथ में स्थित वसुन्धरा जलप्रपात। यह देवभूमि के सबसे चमत्कारी स्थानों में से एक है, इस झरने के बारे में कहा जाता है कि इसका पानी पापी व्यक्तियों के शरीर पर पड़ते ही गिरना बंद हो जाता है।यह झरना (वसुधारा झरना) बद्रीनाथ से 9 किमी दूर है, जिसका पानी अलकनंदा नदी में गिरता है। यह 145 मीटर ऊंची चट्टान से गिरता है और यह स्थान नीलकंठ, चौखंबा और बालाकुन पर्वत के पास स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इस झरने की बूंदें कभी नहीं गिरतीं। कहा जाता है कि यह झरना इतना ऊंचा है कि आपको पहाड़ की आखिरी चोटी एक बार में नजर नहीं आएगी। यहां पहुंचने के लिए आप माणा गांव से घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी की सुविधा ले सकते हैं।
कॉर्बेट फॉल्स
देश भर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक जंगल सफारी करने और इस स्थान के वातावरण का आनंद लेने के लिए हर साल कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में आते हैं। एशिया का पहला राष्ट्रीय उद्यान होने के नाते। कॉर्बेट, नैनीताल जिले के रामनगर वन प्रभाग में एक खूबसूरत झरना है जिसे कॉर्बेट फॉल्स के नाम से जाना जाता है। यह झरना रामनगर से केवल 25 किलोमीटर दूर है।सागौन के घने जंगल से घिरा यह क्षेत्र पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। हर साल हजारों पर्यटक इस खूबसूरत जगह को देखने आते हैं और यह उत्तराखंड में राजस्व पैदा करने वाली जगहों में से एक है। अगर आप दिल्ली के आसपास कहीं रहते हैं तो एक दिन में इस जगह पर जाकर वापस आ सकते हैं।
केम्प्टी फॉल्स
अब उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध झरनों में से एक आता है जहां हर साल पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक होती है। केम्प्टी फॉल्स एक शांत झरना है जो उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मसूरी से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह झरना समुद्र तल से 1364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।पहाड़ से लगभग 40 फीट की ऊंचाई से गिरता हुआ यह झरना मसूरी की घाटी में बहने वाले पांच झरनों में से सबसे बड़ा है। दरअसल केम्प्टी फॉल के नाम के पीछे भी एक मजेदार कहानी है, बताया जाता है कि यह शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों ‘केम्प’ यानी कैंप और ‘टी’ यानी चाय से मिलकर बना है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रिटिश अधिकारी गर्मियों के दौरान अक्सर इस झरने के पास चाय पार्टियों का आयोजन करते थे, जिसके कारण इस झरने का नाम “केम्पटी फॉल” पड़ गया।
भट्टा फॉल
मसूरी के पास एक और फॉल है. इस झरने को भट्टा झरना के नाम से जाना जाता है। भट्टा गांव जाकर आप बस या कार से भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। इस जगह पर आपको ज्यादातर विदेशी ही मिलेंगे। आप यहां कुछ देर शांति से बैठकर शांति के पल बिता सकते हैं।