चंद्रयान-3 मिशन को सफल हुए एक सप्ताह हो गया है लेकिन इसकी कहानियां अभी भी बताई जा रही हैं और इस मिशन में अपना समय लगाने वाले हर व्यक्ति की प्रशंसा की जा रही है। इस मिशन में शामिल सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी जा रही है। इसरो के वैज्ञानिकों को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया सलाम कर रही है। इसमें उत्तराखंड के नाम की भी कई लोग सराहना कर रहे हैं। चंद्रयान का यहां मौजूद लोगों से भी कई कनेक्शन हैं।
कम उम्र में वैज्ञानिक बनकर निभाया मिशन को सफल बनाने में अहम किरदार
यहां कई वैज्ञानिक पले-बढ़े जिन्होंने मिशन को सफल बनाने के लिए अपनी सेवाएं दीं।इस आर्टिकल में हम आपको पिथौरागढ़ जिले के गणाई गंगोली के कूना गांव के रहने वाले रोहित उपाध्याय के बारे में बता रहे हैं, जो इसरो में वैज्ञानिक हैं। रोहित के मिशन से जुड़ना उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है।
रोहित की कहानी निश्चित रूप से उत्तराखंड के लोगों के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरक है। हम रोहित के जीवन पर प्रकाश डालना चाहते हैं। रोहित उपाध्याय ने 2007-2008 में जेसी पब्लिक स्कूल, रुद्रपुर से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने बिपिन चंद्र त्रिपाठी इंजीनियरिंग कॉलेज, द्वाराहाट से स्कूली शिक्षा के बाद बी.टेक किया। जब उन्होंने बी.टेक पूरा किया तो उन्हें गेट परीक्षा में सफलता मिली और आईआईटी रूड़की से एम.टेक के लिए प्रवेश मिल गया।
चंद्रयान का हिस्सा बनकर हल्द्वानी की प्राची ने भी बढ़गया मान
फिलहाल रोहित का परिवार रुद्रपुर में रहता है। रोहित 2016 में यूआरएससी (पूर्व में आईएसएसी) बैंगलोर में एक वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हुए।
वहीं, दूसरी ओर हल्द्वानी निवासी अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्राची बिष्ट उत्तराखंड की दूसरी शख्स हैं, जिन्होंने राज्य को गौरवान्वित किया है। बचपन से आसमान छूने का सपना देखने वाली प्राची साल 2019 में इसरो से जुड़ीं और चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा बनीं।
मिशन को सफल बनाने में प्राची की कंट्रोल यूनिट ने अहम भूमिका निभाई है. प्राची का परिवार गौलापार के गोविंदपुर गांव में रहता है। उनके पिता खड़क सिंह भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त हैं, जबकि मां तुलसी बिष्ट एक गृहिणी हैं। चूंकि उनके पिता नौसेना में थे, इसलिए प्राची ने अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई केरल में की।