उत्तराखंड के लोगों के लिए अच्छी खबर आ रही है। अब, उत्तराखंड के सबसे बड़े और सबसे व्यस्त हवाई अड्डे देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट को ग्रीन एनर्जी लेवल -2 का दर्जा मिला है।जी हां, देहरादून एयरपोर्ट को यह दर्जा एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल द्वारा एयरपोर्ट कार्बन एक्रीडेशन प्रोग्राम के तहत मिला है। उम्मीद है कि ग्रीन एनर्जी लेवल-2 का दर्जा मिलने के बाद देहरादून एयरपोर्ट की तस्वीर बदल जाएगी।
देहरादून एयरपोर्ट के महाप्रबंधक प्रभाकर मिश्रा ने मीडिया को बताया कि यह देहरादून एयरपोर्ट के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। जिसमें एयरपोर्ट को ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में लेवल 2 का स्थान मिला है। उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट को आगे बढ़ाने का यह बेहतरीन अवसर है।
क्या होता हैं ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे ?
हम आपको बताना चाहते हैं कि रीनफील्ड हवाई अड्डे का मतलब ऐसी भूमि पर हवाई अड्डा बनाना है जहां पहले से कोई निर्माण नहीं हुआ है। यह केवल खाली और अविकसित भूमि पर बनाया गया है। ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का निर्माण किसी शहर में पहले से मौजूद हवाई अड्डे पर भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य से किया जाता है। आमतौर पर ऐसे ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे शहर से दूर बनाए जाते हैं, ताकि शहर के अंदर यातायात भार को कम किया जा सके।
भारत सरकार ने देश में नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों के विकास के लिए एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा (जीएफए) नीति, 2008 तैयार की है। इसके मुताबिक, राज्य सरकार समेत कोई भी डेवलपर अगर एयरपोर्ट विकसित करना चाहता है तो उसे उपयुक्त जगह की पहचान करनी होगी। यह शहरों में पर्यावरण और भीड़भाड़ को कम करने का एक व्यावहारिक समाधान है।
यह उपाय शहरों में पर्यावरण और भीड़भाड़ को कम करने के लिए उठाया गया है। इस प्रकार के एयरपोर्ट को बनाते समय हर बात का ध्यान रखा जाता है ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो और एयरपोर्ट पूरी तरह से इको-फ्रेंडली हो। ऐसे एयरपोर्ट स्टेशनों पर जगह-जगह पेड़ लगाए जाते हैं और नवीकरणीय ऊर्जा का यथासंभव उपयोग किया जाता है।